विभिन्न मुद्दों को लेकर धरने पर बैठने वाले विपक्षी विधायकों से बातचीत की परंपरा भी मुख्यमंत्री ने शुरू की
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र कामकाज के लिहाज से तो ठीकठाक रहा ही, इसमें पहली बार नेता सदन के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना सियासी कौशल भी दिखाया। वह पांचों दिन सदन में रहे तो तमाम घोषणाएं भी कीं। विभिन्न मुद्दों को लेकर विस परिसर में धरने पर बैठने वाले विपक्षी विधायकों से बातचीत की परंपरा भी मुख्यमंत्री ने शुरू की। उधर, विपक्ष ने भी विभिन्न विषयों पर अपनी बात को प्रमुखता से रखकर सरकार को घेरने का प्रयास किया।
प्रदेश सरकार में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए बतौर नेता सदन यह पहला विधानसभा सत्र था। ऐसे में सभी की निगाहें उन पर टिकी हुई थीं। मुख्यमंत्री धामी ने सत्र को न सिर्फ बेहद गंभीरता से लिया, बल्कि अपने सियासी कौशल का परिचय देते हुए सत्र में लगभग हर रोज ही घोषणाएं भी कीं। साथ ही अपना विजन भी रखा।
सत्र के दौरान जब विपक्ष के विधायक विभिन्न मुद्दों को लेकर धरने पर बैठे तो मुख्यमंत्री ने अच्छी परंपरा भी शुरू की। वह संबंधित विधायकों के पास जाकर न सिर्फ उनसे मिले, बल्कि अपने साथ विधानसभा स्थित कार्यालय में ले जाकर उनके विषयों पर बातचीत की। साथ ही समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश भी दिए। ऐसा करके उन्होंने विपक्ष को साधने का प्रयास किया। साथ ही संदेश देने की कोशिश की कि जनहित व राज्यहित से जुड़े मुद्दों को लेकर वह और उनकी सरकार पूरी तरह गंभीर है।
विपक्ष के नजरिये से देखें तो वह पिछले सत्रों की अपेक्षा इस मर्तबा पूरी तरह एकजुट दिखा। विपक्ष ने महंगाई, बेरोजगारी, कोरोना, कृषि कानून, जाति प्रमाणपत्र, मनरेगा समेत अन्य कर्मियों के मसलों को उठाते हुए अपनी बात प्रमुखता से रखते हुए सरकार को घेरने का प्रयास किया। विपक्ष की ओर से भू-कानून और देवस्थानम बोर्ड को लेकर असरकारी विधेयक भी लाए गए। ये बात अलग है कि ये धड़ाम हो गए।
भगत ने बखूबी संभाला मोर्चा
पहली बार संसदीय कार्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे बंशीधर भगत ने भी सदन में बखूबी मोर्चा संभाला। उन्होंने अपने अंदाज में विपक्ष पर हमले भी बोले तो तथ्यों व तर्कों के साथ सरकार का पक्ष भी मजबूती के साथ रखा।
पांच दिन में 28.22 घंटे चला सदन
विधानसभा के 23 अगस्त से शुरू हुए मानसून सत्र के लिए सरकार की ओर से नियत अवधि शुक्रवार को समाप्त हो गई। इन पांच दिनों में सदन 28.22 घंटे चला, जबकि 32 मिनट का व्यवधान भी आया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सत्र के लिए विधानसभा को 789 प्रश्न प्राप्त हुए थे। स्वीकार किए गए 27 अल्पसूचित प्रश्नों में से आठ, 197 तारांकित प्रश्नों में से 59, 496 आतारांकित प्रश्नों में से 267 उत्तरित हुए। 64 प्रश्न अस्वीकार किए गए, जबकि पांच विचाराधीन रखे गए।
सभी 23 याचिकाएं स्वीकृत की गईं। नियम 300 में प्राप्त 108 सूचनाओं में से 21 स्वीकृत व 25 ध्यानाकर्षण के लिए रखी गईं। नियम-53 में प्राप्त 70 सूचनाओं में छह स्वीकृत और 21 ध्यानाकर्षण को रखी गईं। नियम-58 में प्राप्त 22 सूचनाओं में से 20 स्वीकृत की गईं। नियम-299 में मिली दोनों सूचनाएं स्वीकृत की गईं। सत्र के दौरान एक दिन प्रश्नकाल में सभी प्रश्न उत्तरित हुए। मौजूदा विधानसभा में यह 25 वां ऐसा मौका है।
दो संकल्प प्रस्तुत, एक विधेयक पारित
विधानसभा के मानसून सत्र में शुक्रवार को डीआइएमएस विश्वविद्यालय विधेयक पारित किया गया। इस निजी विश्वविद्यालय से संबंधित विधेयक बीते रोज सदन में पेश किया गया था।इसके अलावा शुक्रवार को विधायक देशराज कर्णवाल व महेश जीना ने संकल्प प्रस्तुत किए। कांग्रेस विधायकों ममता राकेश व मनोज रावत की ओर से भी संकल्प सूचीबद्ध थे, मगर विपक्ष ने किसानों के मुद्दे पर सदन से पहले ही वाकआउट कर दिया था।
ये विधेयक हुए पारित
-उत्तराखंड विनियोग (2021-22 का अनुपूरक) विधेयक
-आईएमएस यूनिसन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक
-डीआईटी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक
-हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड फल पौधशाला (विनियमन) (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्राविधान (संशोधन) विधेयक
-दून इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (डीआइएमएस) विश्वविद्यालय विधेयक
ये असरकारी विधेयक पटल से अस्वीकार
-उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन (निरसन) विधेयक