उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल की हीरक जयंती कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द
लखनऊ, राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द दो महीने में उत्तर प्रदेश के दूसरे दौरे पर हैं। उत्तर प्रदेश के चार दिन के दौरे पर गुरुवार को लखनऊ पहुंचे राष्ट्रपति शुक्रवार को मनोज पाण्डेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल की हीरक जयंती कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। इसके बाद आज शाम को ही वह संजय गांधी पीजीआइ के 26 वें दीक्षांत समारोह में भी शिरकत करेंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द शुक्रवार को सुबह 10:50 बजे परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पाण्डेय सैनिक स्कूल सरोजिनी नगर में स्कूल के 75 वर्ष पूरा होने के कार्यक्रम में शामिल होंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का कैप्टन मनोज पाण्डेय यूपी सैनिक स्कूल में कार्यक्रम करीब 60 मिनट का होगा। राष्ट्रपति यहां पर बालिकाओं के लिए छात्रावास के निर्माण की आधारशिला रखेंगे। इसके साथ ही वह कैप्टन मनोज पाण्डेय यूपी सैनिक स्कूल की 75वीं जयंती पर आधारित पोस्टल स्टांप का विमोचन करेंगे। राष्ट्रपति इसके साथ ही स्कूल के एक हजार की क्षमता वाले आधुनिक प्रेक्षागृह का लोकार्पण करेंगे। इस दौरान छात्र व छात्रा कैडेट्स राष्ट्रपति को गार्ड ऑफ ऑनर देंगे। सैनिक स्कूल के बच्चे यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देंगे। राष्ट्रपति वर्ष 1960 से लेकर अब तक के देश के इस पहले सैनिक स्कूल के सफर पर आधारित डाक्युमेंट्री का अवलोकन करेंगे। इसके बाद कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन होगा।
एसजीपीजीआइ का 26वां दीक्षा समारोह आज
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुॢवज्ञान संस्थान शुक्रवार को 26 वां दीक्षांत समारोह मनाने जा रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसके मुख्य अतिथि होंगे। वही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का यहां पर करीब एक घंटा का कार्यक्रम शाम पांच से छह बजे तक होगा। इस समारोह में छात्र-छात्रों को डिग्री दी जाएगी। इनके साथ ही तीन एक्सीलेंस अवार्ड प्रो.एसआर नायक अवार्ड फार आउट स्टेंडिंग इनवेस्टीगेटर, प्रो.एसएस अग्रवाल फार एक्सीलेंस रिसर्च अवार्ड और प्रो.आरके शर्मा बेस्ट डीएम स्टूडेंट अवार्ड भी दिया जाएगा।
116विद्यार्थियों को मिलेंगी उपाधियां
संस्थान के 116विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में डी एम (40), एम सी एच (18) , पीडीएएफ( 10), एमडी (33), पीएचडी( 2) एमएचए (5) व बीएससी नर्सिंग ( 8) को उपाधियां प्रदान की जाएंगी।
इन्हेंं मिलेगा पुरस्कार
शोध के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट कार्य के लिए संकाय सदस्य व शोधकर्ता को क्रमश: प्रोफेसर एसआर नायक पुरस्कार व प्रोफेसर एस एस अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। प्रोफेसर एसआर नायक पुरस्कार एंडोक्राइन सर्जरी के प्रोफेसर और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर गौरव अग्रवाल को प्रदान किया जायेगा। एण्डोक्रिनोलाजी विभाग के संगम रजक को प्रोफेसर एसएस अग्रवाल पुरस्कार दिया जाएगा। डाक्टर पंक्ति मेहता( क्लीनिक इम्यूनोलाजी) को सर्वोत्कृष्ट डीएम विद्यार्थी और डाक्टर सितांगशु काकोटी (यूरोलाजी) को सर्वोत्कृष्ट एमसीएच विद्यार्थी के तौर पर प्रोफेसर आर के शर्मा पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
इस दौरान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन संस्थान के पिछले एक वर्ष की गतिविधियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करेंगे। दीक्षांत समारोह कोविड प्रोटोकोल को ध्यान में रखते हुए हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा, जहां कुछ विशिष्ट अतिथियों व वरिष्ठ प्रोफेसर के अतिरिक्त संस्थान परिवार के सदस्य वर्चुअल प्रतिभागिता करेंगें।
14 दिसंबर 1980 को रखी गई आधारशिला
लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की आधारशिला 14 दिसंबर 1980 को रखी गई थी। लगभग 41 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक सुपर स्पेशलिटी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा केंद्र स्थापित करने का विचार सोचा गया और इसी विचार को मूर्त रूप देने के लिए 14 दिसम्बर 1980 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी के ने इस संस्थान की आधारशिला रखी। 1982 के उत्तरार्ध में इसके निर्माण का प्रथम चरण का आरंभ हुआ। वर्ष 1988 से रोगी सेवा व शैक्षणिक कार्य प्रारंभ हुहुए। तब से आज तक संस्थान रोगी को उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा,विद्यार्थियोंको सर्वोत्तम शिक्षा व नवीन शोध की दिशा में निरंतर अग्रसर है।
इससे पहले गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द लखनऊ के डॉक्टर बीबीआर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि आज यहां उपाधियां और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई और साधुवाद। उन्होंने कहा कि दिसंबर, 2017 में भी मुझे इस विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में शामिल होने का अवसर मिला था। यह एकमात्र विश्वविद्यालय है, जहां के किसी समारोह में मैं दूसरी बार आया हूं। यह विश्वविद्यालय बाबा साहेब के विचारों के अनुरूप शिक्षा के माध्यम से अनुसूचित जातियों और जनजातियों के समावेशी विकास के लिए खास योगदान दे रहा है।