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पंचायत चुनाव में मृत सभी शिक्षक के हित में योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला- परिजनों को 30 लाख रुपये की आर्थिक मदद देगी

लखनऊ,  कोरोना संक्रमण काल के दौरान पंचायत चुनाव में मृत सभी शिक्षक तथा सरकारी कर्मियों के आश्रितों के हित में योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। लम्बे समय से चल रहे विवाद का सोमवार को सरकार ने पटाक्षेप कर दिया। इसके लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने चुनाव आयोग की गाइडलाइन में बदलाव कर ड्यूटी पीरियड को 30 दिन माना है, जबकि आमतौर पर इसको तीन दिन माना जाता है। पंचायती राज विभाग के संबंधित प्रस्ताव को सोमवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई।

सामान्य पंचायत निर्वाचन-2021 के दौरान ड्यूटी पर मृत कार्मिकों के संबंध में योगी सरकार ने अनुग्रह राशि पाने की पात्रता की पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए तय किया है कि चुनाव ड्यूटी से 30 दिन की अवधि में जिन शिक्षकों-कार्मिकों की कोरोना की वजह से मृत्यु हुई है, उनके परिवारों को पहले से तय 30-30 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। खास बात यह है कि सिर्फ आरटीपीसीआर या एंटीजन टेस्ट की पाजिटिव रिपोर्ट ही नहीं, बल्कि खून की जांच और सीटी स्कैन की रिपोर्ट को भी कोविड-19 से मुत्यु होने का आधार माना जाएगा।

दरअसल, अप्रैल-मई में पंचायत चुनाव ड्यूटी करते समय जिन कार्मिकों की कोरोना के कारण मृत्यु हुई, उनके स्वजन को 30 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने का फैसला भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग ने भी पहले से कर रखा है, लेकिन मौजूदा व्यवस्था में वह कार्मिक अनुग्रह राशि पाने की पात्रता से बाहर हो रहे थे, जिन्हें कोरोना संक्रमण तो ड्यूटी के दौरान हुआ, लेकिन उससे मृत्यु कुछ दिनों के बाद हुई। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों निर्देश दिया कि चुनाव ड्यूटी में कोरोना से मृत सभी कार्मिकों के स्वजन को अनुग्रह राशि मिल जाए, इसके लिए कोरोना को देखते हुए निर्वाचन आयोग के साथ विमर्श कर पुराने नियमों आदि में संशोधन किया जाए।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर शासन व आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े जानकारों ने कई दिन तक विचार-विमर्श किया। विचार-विमर्श में यह तथ्य भी सामने आया कि वायरल लोड कम हो तो एंटीजन टेस्ट में कोरोना पकड़ में ही नहीं आता। कुछ मामलों में आरटीपीसीआर से भी संक्रमण का पता नहीं चलता। खून की जांच और सीटी स्कैन में बीमारी सामने आती है। ऐसे में एंटीजन टेस्ट और आरटीपीसीआर जांच की तिथि को अनुग्रह राशि की पात्रता के लिए पैमाना बनाने से समाधान निकलता नहीं दिखा। फिर कोविड-19 से संबंधित शोध पत्र भी पढ़े गए, जिसमें स्पष्ट हुआ कि कोरोना संक्रमित होने के बाद 28 दिन की अवधि तक मृत्यु हो सकती है।

अंतत: इन सभी पहलुओं को देखते हुए प्रस्ताव बनाया गया कि चुनाव ड्यूटी की तिथि से तीस दिन के अंदर कोविड-19 से मृत्यु को अनुग्रह राशि का आधार बनाया जाए तो चुनाव ड्यूटी करने वाले कार्मिकों की मृत्यु से प्रभावित सभी परिवारों को मदद दी जा सकती है। पंचायती राज विभाग के संबंधित प्रस्ताव को सोमवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई। शासनादेश के तहत 30 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने संबंधी प्रस्ताव को भी कैबिनेट से अनुमोदित कराया गया है।

पात्रता संबंधी मंजूर किए गए प्रस्ताव के मुताबिक कोरोना से मृत्यु के साक्ष्य के लिए एंटीजन और आरटीपीसीआर पॉजिटिव टेस्ट रिपोर्ट के साथ ही खून की जांच और सीटी स्कैन की रिपोर्ट को भी आधार बनाया जाएगा। स्वीकृति प्रस्ताव में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि कोविड-19 के मरीज के कुछ परिस्थितियों में टेस्ट में नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी पोस्ट कोविड समस्याओं से मृत्यु हो सकती है। इसको देखते हुए ऐसी मृत्यु भी कोरोना से ही मानी जाएगी। अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह ने बताया कि संबंधित शासनादेश मंगलवार को जारी कर दिया जाएगा।

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