सरकार पारिवारिक न्यायवाद में महिलाओं की आर्थिकी को ध्यान में रखते हुए उनके लिए नई योजना ला रही
राज्य ब्यूरो, गैरसैंण। उत्तराखंड सरकार आधी आबादी को लेकर खासी संजीदा है। इस कड़ी में सरकार अब पारिवारिक न्यायवाद में महिलाओं की आर्थिकी को ध्यान में रखते हुए उनके लिए नई योजना ला रही है। इस योजना के लिए बजट में 3.60 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं के कल्याण को कृतसंकल्प है। इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
गैरसैंण में शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नई योजना के तहत पति से कानूनी लड़ाई लड़ रही महिलाओं के भरण पोषण की व्यवस्था की जाएगी। इसमें सभी महिलाओं को शामिल किया जाएगा। सरकारी सेवा में शामिल महिलाओं को इससे बाहर रखा जाएगा। इसके लिए जल्द ही रूपरेखा तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस योजना को जल्द कोई नाम भी दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने महिलाओं को पति की पैतृक सम्पत्ति में सहखातेदार का अधिकार दिया है। इससे 35 लाख से अधिक महिलाओं को लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में घास लेने जाने वाली महिलाओं के हताहत होने के सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं। चमोली में ही 500 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें महिलाएं घायल हुई हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के तहत राज्य की तीन लाख से अधिक महिलाओं के सिर से घास का बोझ हटाने के लिए 25 करोड़ की व्यवस्था की गई है। इसका तत्काल असर नहीं होगा, हालांकि समय के साथ इसमें काफी असर नजर आएगा।
उन्होंने कहा कि कृषि सुधार के लिए मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना लागू की गई है। इसक लिए 20 करोड़ की व्यवस्था की गई है। एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना में भी 12 करोड़ की व्यवस्था की गई है। प्राकृतिक और सुगंधित प्रजातियों की दृष्टि से एकीकृत औद्योगिक अस्थान काशीपुर में 41 एकड़ भूमि पर एरोमा पार्क विकसित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत भी 40 करोड़ की व्यवस्था की गई है।
नेट कनेक्टिविटी की जाएगी मजबूत
मुख्यमंत्री ने कहा कि गैरसैंण क्षेत्र में संचार सेवाएं दुरुस्त की जाएंगी। इसके लिए सचिव आइटी और जिलाधिकारी चमोली को निर्देश दिए गए हैं। कहा गया है कि यदि कोई प्राइवेट कंपनियां यहां संचार व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए टावर लगाती है तो इसके लिए 50-50 लाख रुपये की व्यवस्था की जाएगी।