भारी बर्फबारी के बीच केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद
भगवान केदारनाथ के कपाट भैया दूज के शुभ अवसर पर शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। अब आने वाले छह महीनों तक भगवान भोलेनाथ के दर्शन पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भक्त कर सकेंगे। कपाट बंद होने के मौके पर केदारनाथ में भारी बर्फबारी हुई।
तयशुदा कार्यक्रम के तहत सुबह तड़के तीन बजे से मंदिर में विशेष पूजाए हुई। मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने सभी पूजाएं संपन्न कराई। सुबह लगभग 8 बजकर 35 मिनट पर मंदिर का मुख्य कपाट पुलिस प्रशासन, देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों की मौजूदगी में बंद कर दिए गए।
केदार बाबा की उत्सव डोली ने मंदिर की परिक्रमा की, जिसके बाद केदार बाबा की डोली अपने प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए रवाना हो गई। इस अवसर पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद थे मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर पूरी केदार पुरी केदार बाबा के जयकारों से गूंज उठी। सेना के मधुर बैंड पर धाम में पूरा माहौल भक्त मई हो गया।
इस मौके पर लगभग डेढ़ से दो हजार भक्त मौजूद थे, भगवान की डोली अपने प्रथम पड़ाव रामपुर में आज विश्राम करेगी, जिसके बाद द्वितीय पढ़ाव गुप्तकाशी विश्वनाथ मंदिर में विश्राम करेगी। अगले दिन यानी 18 नवंबर को पंच गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भगवान विराजमान हो जाएंगे, जहां छह महीनों तक भक्तों भोले बाबा के दर्शन कर सकेंगे। कपाट बंद होने के मौके पर केदारनाथ में भारी बर्फबारी हुई। रविवार रात्रि से ही केदारनाथ में हल्की बूंदाबांदी और बर्फबारी होने लगी थी, लेकिन सुबह तड़के 4:00 बजे से लगातार बर्फबारी का दौर चल रहा है, छह इंच से ऊपर बर्फ अब तक जम चुकी है।
योगी आदित्यनाथ ने एकीकृत मंदिर में की पूजा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की, वही केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने को लेकर सुबह तड़के 3:00 बजे से मंदिर में पूजा में चल रही है। आज सुबह लगभग 3:30 बजे योगी आदित्यनाथ केदारनाथ मंदिर पहुंचे तथा सुबह 6:00 बजे तक उन्होंने मंदिर में पूजा की। इसके बाद वह अपने विश्राम ग्रह गढ़वाल विकास निगम के अतिथि गृह में चले गए। वही मंदिर के कपाट बंद होने को लेकर सुबह से ही मंदिर के अंदर गर्भ ग्रह की पूजाएं मुख्य पुजारी शिव शंकर के द्वारा संपन्न कराई जा रही हैं। सुबह 8:30 बजे पूरे विधि विधान से केदारनाथ भगवान के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाना है।