उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: कोरोना संकट के बीच डेंगू का भय बरकरार

उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। जिसकी रोकथाम में स्वास्थ्य महकमा मुस्तैदी के साथ जुटा भी है। इस बीच महकमे के लिए एक दूसरी चुनौती भी सामने आ रही है। मानसून आने वाला है और बीते कुछ वक्त में हर अंतराल पर बारिश हुई है। इसने डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज मच्छरों के प्रजनन लायक स्थितिया पैदा कर दी हैं।

बता दें, पिछले साल भी डेंगू ने जमकर कहर बरपाया था। ऐसे में कोरोना संकट के बीच अब दोहरी चुनौती भी खड़ी हो सकती है। कोरोना के साथ अगर डेंगू भी फैला तो सिस्टम के लिए संभालना मुश्किल होगा। राजधानी दून की ही अगर बात करें तो इस वक्त शहर का प्रमुख सरकारी अस्पताल यानि दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय कोविड-हॉस्पिटल में तब्दील कर दिया गया है।

यहां अब केवल कोरोना संक्रमित व संदिग्ध मरीजों का ही उपचार किया जा रहा है। इस कारण सारा दबाव कोरोनेशन एवं गाधी अस्पताल (जिला अस्पताल) पर पड़ गया है। प्रसव, तमाम तरह की सर्जरी व सामान्य बीमारियों का इलाज पिछले एक अर्से से यहीं किया जा रहा है। ऐसे में डेंगू के मामले बढ़े तो स्वास्थ्य विभाग के उस अनुरूप इंतजाम कर पाना भी बड़ी चुनौती होगा।

बहरहाल आने वाले खतरे को भांपकर जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग ने भी डेंगू की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। चिकित्सकों का प्रशिक्षण एवं जलभराव वाले इलाकों को चिह्नित किया जा चुका है। सबसे बड़ी चुनौती पर्याप्त बेड की व्यवस्था करना है। क्योंकि पिछले साल ही मामले बढ़े तो अस्पतालों में जगह कम पड़ने लगी थी।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. बीसी रमोला का कहना है कि डेंगू को लेकर पर्याप्त व्यवस्थाएं की जा रही हैं। कोरोनेशन एवं गाधी अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए वार्ड तैयार करने के निर्देश दे दिए हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने पर जो होटल/धर्मशाला अधिकृत की गई हैं, उनमें कोविड केयर सेंटर की तर्ज पर मरीज भर्ती किए जाएंगे।

बीते वर्षो में डेंगू की यह रही स्थिति 

वर्ष—————मामले———-मौत

2016—————2046———04

2017—————-849———-00

2018—————-591———-02

2019————-10608———-08

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