आज हम चर्चा करेंगे आपको सोना कहां से खरीदना चाहिए और प्योर गोल्ड खरीदने के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
पिछले एक साल के दौरान सोने ने निवेशकों को मालामाल कर दिया है। एक साल में इसने 25 फीसद से भी अधिक का रिटर्न निवेशकों को दिया है। त्यौहारी सीजन की शुरुआत के साथ ही सोने की कीमतों में एक बार फिर तेजी देखी जा रही है। भारतीय संस्कृति के अनुसार, सोने को निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया माना जाता रहा है। एक जमाना था जब सिर्फ सोने के आभूषण और गोल्ड बार ही निवेश के लिए उपलब्ध थे। अब गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों के अलावा आप अपने मोबाइल के जरिए कुछ क्लिक कर घर बैठे 24 कैरट सोने की खरीदारी कर सकते हैं। आज हम चर्चा करेंगे कि आपको सोना कहां से खरीदना चाहिए और प्योर गोल्ड खरीदने के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
कहां से खरीदें सोना?
वैसे तो सोना खरीदने का पारंपरिक माध्यम आभूषण, सिक्के और गोल्ड बार रहा है लेकिन अब ट्रेंड बदल गया है। अब इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भी आप शुद्ध सोने की खरीदारी घर बैठे कर सकते हैं और जब चाहें उसकी डिलिवरी भी पा सकते हैं। अगर आप बिना शुद्ध सोना खरीदे उसकी कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का लाभ उठाना चाहते हैं तो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड आदि के जरिए भी निवेश कर सकते हैं।
डिजिटल गोल्ड: अब आपको सोना खरीदने के लिए घर से बाहर निकलने की भी जरूरत नहीं है। सोने के सिक्के और बार ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। पेटीएम, फोनपे, गूगल पे, मोबिक्विक जैसे मोबाइल वॉलेट पर ‘डिजिटल गोल्ड’ आसानी से मिल रहा है। आपको बता दें कि यह डिजिटल गोल्ड 99.9 फीसद शुद्ध होता है। गूगल पे, पेटीएम जैसे मोबाइल वॉलेट ने गोल्ड बेचने के लिए MMTC-PAMP से साझेदारी की हुई है। पेटीएम पर आप एक रुपये का गोल्ड भी खरीद सकते हैं। आप चाहें तो मोबाइल वॉलेट से खरीदे गए सोने को बेच दें या अपने घर पर मंगवा लें।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB): सरकार समय-समय पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करती है। सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर जितेंद्र सोलंकी कहते हैं कि सोने में निवेश करने का यह बेहतरीन जरिया है अगर आप पांच साल तक का नजरिया रखते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर सालाना 2.5 फीसद का गारंटीड रिटर्न मिलता है, इसके अलावा कीमत बढ़ने का फायदा तो है ही। अगर आप पांच साल से पहले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से निकलना चाहते हैं तो इसके लिए आपको स्टॉक एक्सचेंज का सहारा लेना होगा जहां इसकी ट्रेडिंग की जाती है।
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेट फंड (Gold ETF): Gold ETF म्युचुअल फंडों का एक प्रकार है जिसकी ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंजों पर की जाती है। इसे खरीदने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सोलंकी कहते हैं कि लिक्विडिटी के लिहाज से गोल्ड ईटीएफ सबसे अच्छा है। इसे आप जब चाहें स्टॉक एक्सचेंज पर बेच सकते हैं। ईटीएफ के मूल्य में उतार-चढ़ाव सोने की कीमतों पर निर्भर होता है। गोल्ड ईटीएफ में एकमुश्त या SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए नियमित अंतराल पर पैसों का निवेश कर सकते हैं।
गोल्ड क्वाइन स्कीम: सरकार ने अशोक चक्र और महात्मा गांधी की तस्वीर वाले सिक्के जारी किए हैं। ये सिक्के 5 और 10 ग्राम में उपलब्ध हैं। इन सिक्कों को रजिस्टर्ड एमएमटीसी आउटलेट, बैंकों और पोस्ट ऑफिस के जरिए खरीदा जा सकता है। इसके अलावा इन्हें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और ई-कॉमर्स वेबसाइट के माध्यम से भी खरीदा जा सकता है।
आभूषण और गोल्ड बार: सोलंकी कहते हैं कि निवेश के ख्याल से आभूषण से बेहतर है गोल्ड बार या गोल्ड क्वाइन की खरीदारी। जाने माने टैक्स और इन्वेस्टमेंट एडवाइजर बलवंत जैन कहते हैं कि आभूषण में आपको ज्यादा मेकिंग चार्ज और उस पर जीएसटी देना होता है। अगर, शादी-विवाह के लिए कोई व्यक्ति आभूश खरीदना चाहता है तो उसे किसी प्रतिष्ठित ज्वैलर से ही गहनों की खरीदारी करनी चाहिए।
कैसे करें सोने की शुद्धता की पहचान
जैन कहते हैं कि सोने की शुद्धता को मापने के लिए आजकल सर्राफा बाजार में कैरेटोमीटर उपलब्ध है। कुछ ही मिनटों में यह बता देता है कि आपको सोना कितने कैरेट का है। हालांकि, इसके लिए आपको कुछ पैसों का भुगतान करना होता है। आमतौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें 91.66 फीसद सोना होता है।
हॉलमार्किंग पर दें ध्यान: हॉलमार्क पर पांच अंक होते हैं। सभी कैरेट का हॉलमार्क अलग होता है। ये अंक ही सोने की शुद्धता तय करते हैं। उदाहरण के तौर पर 22 कैरेट पर 916, 21 कैरेट पर 875 और 18 कैरेट पर 750 लिखा होता है। इससे शुद्धता में कोई शक नहीं रहता।
हॉलमार्किंग योजना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत संचालित एवं नियमित होती है। हॉलमार्किंग से सोना-चांदी की शुद्धता प्रमाणित होती है। हालांकि, कई ज्वैलर्स बिना जांच प्रकिया के ही हॉलमार्क लगा देते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि हॉलमार्क ओरिजनल है या नहीं? असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान बना होता है।
ऐसे तय होती है गोल्ड की कीमत: आप अपने आभूषण में अंकित नंबर को देखकर आसानी से समझ सकते हैं कि आपका आभूषण कितने कैरेट सोने का बना हुआ है। इसी के हिसाब से आपके आभूषण की कीमत भी तय होती है। मान लीजिए अगर 24 कैरेट सोने का दाम 40,000 रुपये प्रति 10 ग्राम है तो बाजार में इसकी बनी ज्वैलरी की कीमत मेकिंग चार्ज को हटाकर (40000/24)X22=36,666.66 रुपये होगी। ऐसे में कई बार ऐसा होता है जब ग्राहक की लापरवाही का फायदा उठाकर सुनार आपको 22 कैरेट सोना 24 कैरेट के दाम पर बेच देता है। इसलिए सतर्क रहें।