रहने लायक शहर से बदसूरती की तरफ बढ़ रहा देहरादून, जानिए क्यों
देहरादून: दून की पहचान रहने योग्य शहरों में रही है। जहां कोई भी व्यक्ति सुकून के पल खोज सके, जबकि हकीकत आज यह है कि दून बदसूरत होता जा रहा है। यह बात रिटायर्ड आइएएस अधिकारी व साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लि. के अध्यक्ष केशव वर्मा ने एमडीडीए के स्थापना दिवस समारोह में कही। केशव वर्मा ही वह अधिकारी हैं, जिन्होंने अहमदाबाद का नगर आयुक्त रहते हुए साबरमती नदी की सूरत बदल कर रख दी और शहर को भी नई पहचान दिलाई थी।
एमडीडीए के स्थापना दिवस पर उन्होंने कहा कि दून की पहचान जैसी रही है, उसका विकास वैसा ही होना चाहिए। जबकि ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स में 111 शहरों में दून को 80वां स्थान मिला है। उन्होंने समारोह में शामिल वित्त सचिव अमित नेगी का सोमवार का ही अनुभव बयां करते हुए कहा कि उन्हें यहां पहुंचने (आइएसबीटी के निकट का आयोजन स्थल) में 35 मिनट लग गए। जबकि शहर की मौजूदा तस्वीर के मुताबिक तीन साल बाद यह समय एक घंटा 10 मिनट हो जाएगा।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि दून ही नहीं देशभर में अर्बन प्लानर का अभाव है। लखनऊ में ही स्मार्ट सिटी परियोजना में अब तक बजट का महज चार फीसद भाग खर्च हुआ है। दून में भी हालात इससे जुदा नहीं हैं। यहां विभागों में आपसी तालमेल का भी अभाव है। इस बात का उदाहरण देते हुए केशव वर्मा ने कहा कि जब शत्रुघ्न सिंह उत्तराखंड के मुख्य सचिव थे, तब वह यहां आए थे और शहर के विकास के लिए 18 सरकारी एजेंसियों के अधिकारी भी वहां मौजूद थे। गजब की बात यह कि सभी एक दूसरे से पूरी तरह अनभिज्ञ थे। आज भी हालात ऐसे ही हैं। एक विभाग सड़क बना रहा है, तो दूसरा उस पर खुदाई कर दे रहा है। दून के विकास में पेशेवर अधिकारियों की कमी रही है, जिसे अब दूर किया जाना जरूरी है।
मिक्स्ड लैंडयूज होना जरूरी
शहरी विकास विशेषज्ञ के रूप में पहचान बना चुके केशव वर्मा ने जोर देते हुए कहा कि कार्यालय व आवास के बीच अधिक दूरी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए मिक्स्ड लैंडयूज पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने साउथ कोरिया का उदाहरण देते हुए कहा कि चरणवार विकास का खाका स्पष्ट करने की जरूरत है। वहां पांच साल कृषि विकास के लिए रखा गया। इसके बाद पांच साल इंडस्ट्री सेक्टर और फिर पर्यावरण के लिए पूरा रोडमैप तैयार किया गया।
नगर आयुक्त अधिकार संपन्न हों
केशव वर्मा ने कहा कि नगर आयुक्त के पास शहर के आर्थिक विकास के अधिकार होने चाहिए। उन्होंने सचिव वित्त अमित नेगी को सुझाव दिया कि नगर आयुक्त को उद्योग विभाग में अहम जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
एमडीडीए बना रहा भविष्य का दून
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने गठन के 35 साल में पहली बार स्थापना दिवस मनाया। इस तरह से यह 35वां, मगर पहला स्थापना दिवस समारोह रहा। ‘भविष्य के शहर: वर्तमान परिदृश्य और चुनौतियों’ पर केंद्रित इस समारोह में दून के भविष्य का खाका बुना गया। सोमवार को आइएसबीटी के पास स्थित एक होटल में समारोह का शुभारंभ सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव आवास नीतेश झा व साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लि. के अध्यक्ष केशव वर्मा ने संयुक्त रूप से किया। समारोह की शुरुआत करते हुए एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य गठन से पूर्व यह पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा प्राधिकरण था।
हालांकि, वर्ष 2000 के बाद यह राज्य का सबसे बड़ा प्राधिकरण बन गया और चुनौतियां भी उसी के अनुरूप बढ़ती चली गई। इस अवसर पर साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष केशव वर्मा ने कहा कि दून में फुटपाथों का विकास अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। साथ ही प्रयास किया जाए कि दून के मूल स्वरूप बरकरार रहे। वहीं, वाशिंगटन डीसी से आए एथेना इंफोनोमिक्स के को-फाउंडर विजय भलाकी ने अर्बन फाइनेंसिंग के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
जबकि स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट की रीजनल प्लानिंग हेड डॉ. विनीता यादव ने बताया कि दून में किस तरह की अर्बन प्लानिंग की जा सकती है। इसी कड़ी में हैरिटेज एक्टिविस्ट लोकेश ओहरी ने दून की विभिन्न हैरिटेज साइट्स के बारे में जानकारी देते हुए उनके संरक्षण की अपील की। इसके अलावा जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन, उपाध्यक्ष एमडीडीए डॉ. आशीष, उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी आदि ने ओपन हाउस में दून के विकास को लेकर पूछे गए विभिन्न सवालों के जवाब दिए। कार्यक्रम में एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का, सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर संजीवन सूंठा, ट्रांसपोर्ट प्लानर जगमोहन सिंह आदि उपस्थित रहे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित
एमडीडीए के स्थापना दिवस के सांयकालीन सत्र में सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी ऑडिटोरियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। विशेष रूप से पद्मश्री किरण सहगल व उनकी टीम ने ‘दशाऊ तारम’ कार्यक्रम प्रस्तुत किया। साथ ही गढ़वाली संगीत की छटा भी समारोह में बिखरी। इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार आदि उपस्थित रहे।