उत्तराखण्ड

स्कूल बसों के लिए नयी गाइड लाइन जारी

देहरादून।  अगर किसी व्यवसायिक वाहन चालक का दो मर्तबा ओवर-स्पीड, शराब पीकर वाहन चलाने या अनियंत्रित तरीके से संचालन में चालान हुआ तो वह कभी भी स्कूल वाहन नहीं चला पाएगा। सुप्रीम कोर्ट के साथ ही बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सख्ती के बाद परिवहन विभाग ने स्कूली वाहनों के चालक और परिचालकों के लिए नियम तय कर दिए हैं। गर्ल्स स्कूल के वाहनों में लेडी हेल्पर अनिवार्य कर दी गई है।

आरटीओ सुधांशु गर्ग की ओर से मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र भेज स्कूल बसों और अन्य वाहनों में गाइड-लाइन के तहत सुरक्षा बंदोबस्त सुनिश्चित कराने को कहा गया है। गाइड-लाइन में बताया गया कि स्कूली वाहन के चालक को न्यूनतम पांच साल का अनुभव व पुलिस सत्यापन होना जरूरी है। बिना योग्य परिचालक के बस का संचालन नहीं होगा।

परिचालक केंद्रीय मोटरयान नियमावली की शर्तों का पालन करने वाला होना चाहिए। स्कूली वाहनों में स्पीड गवर्नर होना अनिवार्य है। गति ज्यादा होने पर चालक का लाइसेंस जब्त कर उसे अयोग्य कर दिया जाएगा। स्कूली वाहनों में ओवरलोडिंग न की जाए और वाहनों के दरवाजे बंद हों। चालक जिन बच्चों को ले जा रहा है, उनके नाम, पते व परिजनों के नाम व मोबाइल नंबर की सूची उसके पास उपलब्ध होनी चाहिए। किंडर-गार्डन वाले बच्चों को बस स्टॉप पर लेने अगर परिजन नहीं आते हैं तो चालक-परिचालक उसे सुरक्षित स्कूल लाएं और वहां से परिजनों को बुलाया जाए। स्कूली वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स और अग्निशमन यंत्र अनिवार्य रूप से होने चाहिए।

शहर व कालोनियों में अनाधिकृत रूप से खड़े कबाड़ व खराब वाहनों को हटाने के लिए आरटीओ ने एसएसपी को पत्र भेजा है। आरटीओ ने बताया कि आयु सीमा पूरी कर चुके सैकड़ों वाहन अलग-अलग क्षेत्रों में सड़कों पर खड़े हैं व यातायात बाधित कर रहे। आरटीओ ने आग्रह किया है कि सभी थानाध्यक्षों के माध्यम से ऐसे वाहनों को हटाने की कार्रवाई की जाए।

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