उत्तरप्रदेशउत्तराखण्डराजनीतिक

देश के पहले रेलवे ट्रैक पर अब नहीं चलती रेल, दिलचस्प है इतिहास

देहरादून। अंग्रेजों ने भारत में जिस रेलवे ट्रैक पर सबसे पहले रेल चलाई थी, आज वहां रेल तो दूर पटरियों का वजूद भी मिट गया है। ट्रेन की जगह उस ट्रैक पर अब गाड़ियां दौड़ती नजर आती हैं।
रुड़की शहर की पहचान पिरान कलियर और आईआईटी से है, किन्तु बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भारत में पहली बार ट्रेन भी इसी शहर से चली थी। आज से 158 वर्ष पूर्व 22 दिसंबर, 1851 को दो बोगियों वाली ट्रेन रुड़की से पिरान कलियर के लिए चली थी। इस ट्रेन का उपयोग माल ढुलाई के लिए किया गया था। आम आदमी को रुड़की की इस उपलब्धि से परिचित कराने के लिए इस ऐतिहासिक ट्रेन के इंजन को रुड़की रेलवे स्टेशन के परिसर में रखा गया है।
उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेजों के शासनकाल में हरिद्वार से गंगा नदी को उत्तर भारत से जोड़ने के लिए गंग-नहर का निर्माण किया जा रहा था। नहर निर्माण के दौरान लाखों टन मिट्टी को हटाने में दिक्कत आ रही थी। पहले तो श्रमिकों से मिट्टी से भरे हुए डिब्बों को खिचवाने की कोशिश की गई लेकिन सफलता नही मिली। अतः घोड़ों से इन डिब्बों को खिंचवाया गया, लेकिन इसमें बहुत देर लग रही थी।
नहर निर्माण की योजना में विलम्ब होते देख कार्यदायी संस्था द्वारा इंग्लैण्ड से विशेषरूप से माल ढोने वाले वैगन और इंजन को मंगवाया गया। छह पहियों और 200 टन भार की क्षमता वाली इस ट्रेन को चलाने के लिए रुड़की से पिरान-कलियर के मध्य रेल पटरियां बिछाई गयी। 22 दिसंबर 1851 को पहली बार रेल इंजन दो मालवाहक डिब्बों को लेकर रुड़की से पिरान-कलियर के लिए रवाना हुआ। भारत में पहली बार रेलगाड़ी के चलने को लेकर पूरा देश उत्साहित था।
चार मील प्रति घण्टे की गति से चलने वाले इस इंजन को देखने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों से भी हजारों लोग पहुंचे थे। बाद में रुड़की रेलवे स्टेशन की स्थापना होने पर इस ऐतिहासिक इंजन को स्टेशन के प्रांगण में लोगों के लिये स्थापित कर दिया गया है। नहर का काम पूरा होने के बाद इस ट्रैक पर ट्रेनें नहीं चली। न ही इसे उपयोग में लाया गया। जबकि पिरानकलियर धार्मिक स्थल है औ अंग्रेजों ने ट्रेन चलाने के लिए जो पटरियां बिछाई थीं। वह सब अब गायब हो चुकी हैं। उन ट्रैक की जगह नहर पटरी बन गयी है, जिसका उपयोग अब सड़क के रूप में किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button