उत्तराखण्ड

अस्पताल के बरामदे में हो रहा डेंगू के मरीजों का इलाज

देहरादून । दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बरामदे में भर्ती डेंगू के मरीजों ने आखिर राहत की सांस ली है। वह यहां डेंगू के साथ ही अव्यवस्था का मर्ज झेल रहे थे। बहरहाल अब अस्पताल प्रशासन ने व्यवस्था सुधार दी है। न केवल बेड पर मच्छरदानी लगा दी गई है बल्कि अन्य बंदोबस्त भी किए जा रहे हैं।

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डेंगू के इलाज में बदइंतजामी को लेकर दैनिक जागरण ने खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद बरामदे में लगाए गए डेंगू के मरीजों के बेड पर मच्छरदानी लगा दी गई है।

बता दें, अस्पताल में मरीजों के लिए बरामदे में 10 बेड लगाए गए थे, जहां डेंगू के मरीजों का इलाज खुले में हो रहा था। इनमें तीन माह का एक मासूम भी शामिल है। बरामदे में बिना किसी एहतियात इलाज करने को लेकर सिस्टम पर सवाल खड़े होने लगे थे।

इसके बाद अस्पताल प्रशासन चेता और बेड पर मच्छरदानी लगवा दी। इसके अलावा बरामदे में ही पंखे लगाने का काम भी शुरू कर दिया है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उपलब्ध संसाधनों के अनुसार डेंगू के मरीजों को बेहतर उपचार मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा है।

एडीज मच्छर से दो-दो हाथ करने 21 टीमें मैदान में

डेंगू के विकराल होते स्वरूप को देख स्वास्थ्य महकमा हलकान है। डेंगू की बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए विभागीय स्तर से कदम तो उठाए जा रहे हैं, लेकिन डेंगू के मच्छर के आगे सभी तैयारियां नाकाफी साबित हो रही हैं। जिस पर अब स्वास्थ्य विभाग ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। डेंगू पीड़ितों के लिए प्रदेश में पांच प्रमुख अस्पतालों में निश्शुल्क एलाइजा जांच की व्यवस्था शुरू की गई है।

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आरके पांडेय अब स्वयं डेंगू की रोकथाम के लिए किए जा रहे कार्यों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। खास बात यह कि डेंगू के मच्छर की सक्रियता कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की 21 टीमें मैदान में उतर गई हैं। इनमें शामिल 169 विभागीय अधिकारी व कर्मचारी घर-घर जाकर मच्छर के लार्वा का सर्वे कर रहे हैं।

डेंगू के मामलों की नियमित समीक्षा के दौरान स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी बड़े चिकित्सालयों को डेंगू के मरीजों के उपचार को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। अस्पतालों के प्रमुख अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि मरीजों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की जाए। स्पष्ट किया गया है कि कोई भी मरीज बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण अस्पताल से बिना उपचार वापस नहीं लौटना चाहिए।

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