उत्तराखण्ड

अब निविदा आमंत्रण में भी मूल निवास की अनिवार्यता की शर्त


देहरादून। उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिये जहां राज्य में रहने वाले सभी वर्गों के अथक प्रयासों की जरूरत है वहीं कुछ सरकारी महकमे असंवैधानिक कृत्यों से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी कड़ी में देहरादून जू प्रबन्धन संस्था ने लच्छीवाला में विभिन्न कार्याें में निविदा आमंत्रण में उत्तराखण्ड मूल निवासी की शर्त लगा दी है।
बीती 4 मार्च को देहरादून के एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित कराई गई निविदा सूचना में लच्छीवाला पिकनिक स्पाट पर वाहन स्टैण्ड/पार्किंग, कैन्टीन, रबर ट्यूब, बोटिंग जैसे कार्यों हेतु निविदा आमंत्रिण की गई है जिसमें स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया है कि उत्तराखण्ड के मूल निवासियों से निविदा आमंत्रित की जा रही है। उक्त पर्यटक स्थल वन विभाग के नियंत्रणाधीन आता है।
भारत के संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद 19(1)(छ) में स्पष्ट किया गया है कि सभी नागरिकों को कोई भी वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार होगा। मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद 13(2) में यह भी स्पष्ट किया गया है कि राज्य ऐसी कोई विधि नहीं बनाएगा जो इस भाग के द्वारा प्रदत्त अधिकारों को छीनती है।
ज्ञातव्य है कि राज्य में ही राज्य सूचना आयुक्त सुरेन्द्र सिंह रावत ने अपने एक आदेश में राजकीय सेवाओं में मूल निवासी की शर्त को संविधान के 14 व 16 का उल्लंघन बता चुके हैं। देहरादून जू प्रबन्धन संस्था से इस असंवैधानिक शर्त लगाये जाने से सम्बन्धित शासनादेश अथवा विभागीय आदेश की छायाप्रति मांगी गई है।

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