देहरादून नगर निगम में बड़ा कदम, 90 से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों की छटनी
देहरादून। नगर निगम में आउटसोर्स पर रखे गए कई कर्मचारियों को हटाने के लिए सूची फाइनल कर ली गई है। दीपावली के तुरंत बाद बड़ी संख्या में आउटसोर्स कर्मियों को झटका लगने वाला है। करीब 90 से अधिक कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। अगले दो दिन में कर्मचारियों को बर्खास्तगी के आदेश जारी हो सकते हैं। राजनीतिक दबाव के चलते अभी शासन स्तर पर सूची पर मोहर लगने का इंतजार है।
नगर निगम में आउटसोर्स पर करीब सवा तीन सौ कर्मचारी रखे गए हैं। जिनमें से ज्यादातर लापता हैं, हालांकि कई कर्मचारी नियमित रूप से निगम कार्यालय पहुंचकर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। लेकिन, शासन के छंटनी के निर्देश के बाद बीते तीन सप्ताह से अनावश्यक कर्मियों की सूची तैयार कर उन्हे बाहर का रास्ता दिखाने की कसरत चल रही है।
वहीं, नेताओं की सिफारिश पर रखे गए कर्मचारियों को लेकर अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में छंटनी के दौरान कई काम करने वाले कर्मचारियों के भी सूची में नाम चढ़ने की सूचना है। जिससे कर्मचारियों के बीच हड़कंप मच हुआ है। इस मामले में जिलाधिकारी व नगर निगम प्रशासन सविन बंसल ने अनावश्यक कर्मचारियों की सूची तलब की है। जिस सूची का अवलोकन करने के बाद छंटनी की जाएगी।
ऑफिस आने के लिए किया मना
इसी क्रम में सोमवार को दीपावाली की छुट्टियां समाप्त होने के बाद नगर निगम में सभी संबंधित अनुभाग के प्रभारी और बड़े बाबु अपने अनुभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों को यह कहने पहुंच गए कि कल से रेस्ट करो, ऑफिस आने की आवश्यकता नहीं है।
कर्मचारियों में मची खलबली
सूत्रों के अनुसार कई ऐसे कर्मचारियों को रेस्ट करने की सलाह दी गई जो काफी समय से निगम में नियमित रूप से ड्यूटी कर रहे हैं और कार्य कर कर रहे हैं। जबकि, आरोप है कि नेताओं के दबाव में रखे गए कर्मचारियों को न निकलने का दबाव अधिकारियों पर बनाया जा रहा है। जिसके चक्कर में काम करने वाले कर्मचारियों पर तलवार लटक गई है। सोमवार को निगम में कई आउटसोर्स कर्मचारियों में खलबली मची रही और कुछ भावुक भी नजर आए।
तो प्रशासक के पास भेजी गई सूची
नगर निगम में आउटसोर्स कमियों की छंटनी की सूची डीएम सविन बंसल और शासन को भेजने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि सोमवार देर शाम तक डीएम की मौजूदगी में अधिकारियों ने इस सूची पर मंथन किया। हालांकि, इस पर शासन की ओर से भी दिशा निर्देश प्राप्त हो सकते हैं। राजनीतिक दबाव के कारण सूची में फेरबदल भी हो सकते हैं।