समीक्षकों ने बालगुरू को सराहा, लेखक से बालगुरू-2 लिखने की गुज़ारिश
देहरादून। सेवानिवृत्त आई.पी.एस. अधिकारी सतीश शुक्ल द्वारा लिखित उपन्यास ‘‘बाल गुरू’’ को साहित्यकारों, ब्लागरों, सेवानिवृत्त अधिकारियों से लेकर सहपाठियों तक ने एक स्वर में सराहा है। कुछ समीक्षकों द्वारा श्री शुक्ल की इस कृति को इस हद तक सराहा गया है कि उन्होंने बाल गुरू-2 तक लिखने की गुज़ारिश कर दी है।
-अजय कुमार (सेवानिवृत्त अपर पुलिस महानिदेशक) की दृष्टि में-
सेवानिवृत्त ए0डी0जी0 उत्तराखण्ड श्री अजय कुमार ने बाल गुरू को रोचक एवं सत्यतापूर्ण रचना बताते हुए अपनी राय में कहा है कि बाल गुरू हमें अपने बीते हुए बचपन का अहसास कराती है। उन्होंने लेखक से बाल गुरू-2 लिखने की गुजारिश की है।
-सुप्रसिद्ध ब्लागर प्रिथुल के शब्दों में ‘‘अत्युत्तम रचना’’-
बिहार के आई.टी. प्रोफेशनल व सुप्रसिद्ध ब्लागर प्रिथुल ने बाल गुरू के संदर्भ में अपने ब्लाग में लिखा है कि एक बार पुस्तक पढ़ कर समाप्त करने के बाद आप बार-बार कुछ खोजते हुए वापस आयेंगे और हर बार कुछ नई बातों से भिज्ञ होंगे। उन्होंने बाल गुरू के संदर्भ में यह भी लिखा है कि इसमें आप अपने जीवन को साकार होते स्वयं महसूस करेंगे। यह एक दस्तावेज की तरह है।
-अनिल मिश्रा (सेवानिवृत्त आई.जी.) की नज़रों में-
सेवानिवृत्त आई.जी. अनिल मिश्रा ने बाल गुरू की समीक्षा में लिखा है कि बाल गुरू को एक बार पढ़ना शुरू किया तो समाप्त होने तक पढ़ता ही चला गया। उन्होंने लिखा है कि पुस्तक पढ़ते-पढ़ते वह बचपन की सुनहरी यादों में खो गये।
-बुन्देलखण्ड में भी सराहा जा रहा है बालगुरू को-
बालगुरू को उत्तरभारत से लेकर दक्षिण तक के विभिन्न क्षेत्रों में पसन्द किया जा रहा है। इस श्रंखला में लेखक के गृह क्षेत्र बुन्देलखण्ड में भी पुस्तक को बेहद पसन्द किया जा रहा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के विख्यात फिजीशियन उरई निवासी डा0 अशोक अग्रवाल ने बाल गुरू को बेहतरीन कृति बताते हुए कहा कि सहपाठी के रूप में सतीश शुक्ल जी के साथ झांसी में बिताये वर्षों की यादें फिर से जीवन्त हो गयी।
-आनलाईन भी उपलब्ध है बालगुरू-
सतीश शुक्ल जी द्वारा लिखित उपन्यास बाल गुरू amazon.in, flipkart एवं infibeam पर आनलाईन भी उपलब्ध है।